Top Guidelines Of सोयाबीन के तेल के फायदे



हड्डी स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सोयाबीन ऑयल मदद कर सकता है। इसमें आइसोफ्लेफॉन केमिकल कंपाउंड होता है, जो एस्ट्रोजेनिक गतिविधि और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव दिखाता है। यह ऑक्सीडेटिव संतुलन को बनाए रखते हुए ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से संबंधित बीमारियों जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी रोग) से बचाव कर सकता है। साथ ही यह एस्ट्रोजन लेवल को बढ़ाकर हड्डी को स्वस्थ रखने में भी सहायक हो सकता है।

लेख में आगे हम पाठकों द्वारा सोयाबीन ऑयल के संबंध में पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दे रहे हैं।

स्तन और पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है

सोयाबीन के तेल की खासियत होती है कि इस तेल में उच्च वनस्पति प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन मनुष्यों में उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में प्रभावी होता है, इसलिए सोयाबीन के तेल का उपयोग अपनी प्रतिरक्षा शक्ति, यानी इम्यून सिस्टम को तेज करने के लिए भी कर सकते हैं। इसे नियमित रूप से इस्तेमाल करने से शरीर में प्रोटीन का स्तर बढ़ता है, जिससे आपका शरीर जल्दी थकता नहीं है। यही नहीं, शरीर की कोशिकाओं के उत्पादन, विकास और स्वास्थ्य में भी प्रोटीन का अहम योगदान होता है।

सोयाबीन में कई तरह के विटामिंस, मिनरल्‍स और प्रोटीन मौजूद होते हैं जो डायबिटीज को नियंत्रित, वजन घटाने और दिल को दुरुस्‍त रखने में मदद करते हैं। सोयाबीन नींद से जुड़े विकारों और पाचन में भी सुधार लाता है। सोयाबीन read more को कच्‍चा नहीं खाना चाहिए।

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विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच खाद्य तेल-तिलहन कीमतें टूटीं

सोयाबीन के तेल से हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। भले ही खाद्य उद्योग बाजार सोयाबीन के तेल को अच्छे रूप में प्रस्तुत करता हो, लेकिन वास्तव में साइंस इसका प्रभाव को विपरीत दर्शाता है। सोयाबीन के तेल में ज्यादातर पॉलीअनसेचुरेटेड वसा होता है। खाना पकाने की प्रक्रिया में गर्मी के संपर्क में आने पर ये वेजिटेबल ऑयल ऑक्सीडाई होते हैं। इन ऑक्सीडाइज़्ड फैट के सेवन से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल लेवल और सीने में जलन जैसी समस्याएं होने लगती है।

साथ ही अदरक पेस्ट, हल्दी, धनिया, मिर्च और गरम मसाला पाउडर भी डालें।

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वनस्पति यानी वेजिटेबल तेल की तुलना में सोयाबीन तेल स्वस्थ है?

कैस्टर ऑयल लगाकर गर्म सिंकाई करने पर दर्द तेजी से कम होने में असर दिखता है. 

ऐसा कुकिंग ऑयल का होना जरूरी है जो हाई टेंपरेचर पर स्थिर रहता है और विषाक्त यौगिकों में नहीं टूटता है जो भोजन और हमारे शरीर में भी प्रवेश कर सकता है. आपको तेल के फैटी एसिड प्रोफाइल को भी ध्यान में रखना चाहिए.

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